साथ: एक भाव साथ: एक भाव
मन के जो भाव हैं, मेरे पास शब्द नहीं हैं उन्हें लिखने के लिए। मन के जो भाव हैं, मेरे पास शब्द नहीं हैं उन्हें लिखने के लिए।
हर रात की भोर निश्चित है छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल हर रात की भोर निश्चित है छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल
जिद्दी मन, छोड़ता ही नहीं, टिमटिमाते उजाले का छोर। सुप्त सी हुई जिद्दी मन, छोड़ता ही नहीं, टिमटिमाते उजाले का छोर। सुप्त सी हुई
होती है ये धरोहर अनमोल और खूबसूरत जो रिश्तों की नई लिखती है इबारत। होती है ये धरोहर अनमोल और खूबसूरत जो रिश्तों की नई लिखती है इबारत।
कलम दवात की, स्याही से ज्यादा कहाँ चलती है हदें तय हैं, दो छोरों की दूरी तय कर रहे हो। कलम दवात की, स्याही से ज्यादा कहाँ चलती है हदें तय हैं, दो छोरों की दूरी तय कर ...